‘लाक डाउन’, क्या खोया ,क्या पाया, चंद पंक्तियाँ आपकी नज़र
‘लाक डाउन’, क्या खोया ,क्या पाया,
अपनों का प्यार और पुलिस की मार,
वीरान सड़कें और बीमारी का व्यापार,
तानशाहों की दुनिया हर एक बीमार,
मीलों नंगे पैरों पैदल वो सफर,
वो सरकार वो दातार,
माननीयों का रुतबा और मासूमों पर अत्याचार,
कुछ घुन, कुछ धुन और सृष्टि में सब्ज बहार,
बेरोजगारी ,मंदी और सुनसान हर बाज़ार,
मुँह में पटटी हाथ में दस्ती , शराब का काला वो कारोबार,
दबी घुटन एक शिकन हर इक इंसान बंद,
कुछ पाया कुछ खोया और ज़िंदगी की ये धीमी रफ़्तार !
ॐ शांति