‘टियालु’, जो वक़्त के साथ बन गया मैक्लोडगंज !
‘टियालु’, जो वक़्त के साथ बन गया मैक्लोडगंज !
Dharamshala हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा जिले में धर्मशाला या भागसू के साथ लगते पहाड़ी इलाके को वक़्त ने अच्छी तरह सहेजा है अब यह शहर मैक्लोडगंज के नाम से अपनी अंतर्राष्ट्रीय पहचान बना चुका है ! इस सुन्दर पहाड़ी को पहले ज़माने में टियालु कहा जाता था जिसका सम्बन्ध गद्दी समुदाय और स्थानीय जनता द्वारा काँगड़ा से चम्बा जाने के रास्ते के एक पड़ाव से है ! सर्दियाँ ख़तम होने पर जैसा की अभी भी सारे भेड़पालक अपने धणो(बकरी और भेड़ों का झुण्ड ) को धौलाधार पर्वत श्रंखला को पार कर पीर पंजाल हिमालय में चरागाहों की और ले जाते हैं वैसे ही पहले भी यह रास्ते और दर्रे इनके लिए महतवपूर्ण रहे हैं !
यहाँ काँगड़ा जिले में सर्दियाँ बिताने वाले गद्दी अपने धणो को भरमौर और बड़ा भंगाल के चरागाहों में ले जाते हैं ! धर्मशाला शहर को भी पहले भागसू के नाम से जाना जाता था और साथ लगते योल कैंट को पहले मझेठा कहा जाता था ! दलाई लामा जी के आगमन से पहले तक ये शहर पहले ब्रिटिश फ़ौज और अब भारतीय सेना द्वारा सरंक्षित किया जाता रहा है !
आजकल यहाँ देशी और विदेशी पर्यटकों का आना जाना साल भर लगा रहता है और कई अंतर्राष्ट्रीय गतिविधियों के कारण खासा चर्चा का विषय रहा है ! धर्मशाला में बने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम ने शहर की काया ही कल्प कर दी है अब लोग दूर दूर से यहाँ पर होने वाले मैचों को आनंद लेने आते हैं !
DIFF या धर्मशाला अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल भी इसका एक जीता जागता सबूत है की यहाँ पर अब लोग सुन्दर वातावरण और शांति का अनुभव करने के लिए एक बार जरूर आते हैं !
त्रिउंड और साथ लगते पहाड़ साहसिक खेलों जैसे हाईकिंग ,ट्रैकिंग , रॉक क्लाइम्बिंग , रप्पेल्लिंग और रिवर स्पोर्ट्स के लिए अपनी अच्छी खासी पहचान बना रहे हैं ! इन्द्रू नाग में पर्यटक पैराग्लाइडिंग का भी लुत्फ़ उठा सकते हैं !